स्थानांतरण पर मिलने वाले योगकाल संबंधी नियम

क्या स्थानांतरण पर मिलने वाले योगकाल के क्रम मे अवकाश ले सकते है ? क्या उक्त अवकाश लेने पर उपार्जित अवकाश मिलेगा ? कृपया नियमानुसार योगकाल सम्बन्धित नियम

उत्तर – कार्यग्रहण काल नियम 1981 के नियम 4(1) एवं वित्त विभाग के परिपत्र दिनांक 02.08.2005 के बिंदु संख्या (b) के अनुसार किसी कार्मिक का स्थानान्तरण जनहित/लोकहित में होने पर ही कार्यग्रहण काल अनुज्ञेय होगा।

180 दिनों तक के अस्थायी स्थानांतरण हेतु कार्यग्रहण काल देय नही है। ऐसे मामलों में केवल दौरे पर स्वीकार्य वास्तविक यात्रा समय ही अनुज्ञेय होगा।

जब स्थानान्तरण स्वयं कार्मिक के निवेदन/प्रार्थना के आधार पर हो तो कोई यात्रा भत्ता एवं कार्यग्रहण काल स्वीकार नही किया जाएगा। यदि कार्मिक के स्थानांतरण आदेश में लोकहित में स्थानांतरण का उल्लेख नही किया गया हो तो यह माना जाएगा कि स्थानांतरण कार्मिक के निवेदन पर हुआ है, फलस्वरूप कोई यात्रा भत्ता एवं योगकाल देय नही होगा, लेकिन ऐसे कार्मिकों को कार्यमुक्त होने एवं नवीन पद पर उपस्थित होने के बीच की अवधि में पड़ने वाले रविवार/राजपत्रित अवकाशों के उपभोग की अनुमति दी गई है।

वित्त विभाग के स्पष्टीकरण दिनांक 21.08.2007 के अनुसार प्रोबेशनर ट्रेनी कार्मिक का स्थानांतरण परिवीक्षाकाल में होने पर उसे केवल मील भत्ता (Mileage Allowance) एवं आकस्मिक प्रतिपूर्ति व्यय (incidental charges) परिवीक्षाकाल में नियत पारिश्रमिक के आधार पर अनुज्ञेय होगा। उक्त प्रकार के मामलों में कार्य ग्रहण काल नियम 1981 के प्रावधान लागू नहीं होंगे। परिवीक्षाकालीन स्थानांतरित कार्मिकों हेतु आवश्यक यात्रा की वास्तविक अवधि को कर्तव्य अवधि (ड्यूटी) के रूप में माना जाएगा।

वित्त सचिव III – वित्त विभाग राजस्थान के द्वारा अतिरिक्त निदेशक HCM RIPA जयपुर के पत्रांक 17.07.2006 के बिंदु संख्या 1(d)(i) के प्रतिउत्तर में भेजे गए स्पष्टीकरण आदेश दिनांक 30.08.2006 के अनुसार – यदि कोई कार्मिक जो पूर्व में स्थायी सेवा (तीन वर्ष से अधिक) में था, का चयन RPSC से किसी अन्य उच्च पद पर हो जाता है तो ऐसे कार्मिकों को कार्यग्रहण काल एवं कार्यग्रहण काल अवधि का वेतन देय होगा, लेकिन ऐसे कार्मिकों को कार्यग्रहण अवधि समाप्ति से पूर्व कार्यग्रहण करने पर नियम 6(1) के अनुसार योगकाल PL का लाभ देय नही होगा। जिन कार्मिकों की सेवा अवधि 3 वर्ष से कम है और जिनका चयन RPSC से उच्च पद पर हो जाता है तो ऐसे कार्मिकों को केवल कार्यग्रहण काल ही देय होगा। 3 वर्ष से कम सेवा अवधि वाले कार्मिकों को कार्यग्रहण काल की अवधि का वेतन देय नही होगा।

स्थानांतरण योगकाल संबंधित कुछ विशेष –

कार्यग्रहण काल नियम 1981 के नियम 5 के अनुसार – यदि प्रभार मध्यान्ह से पूर्व संभलाया गया है तो पुराने पद के प्रभार को त्यागने की तारीख से कार्यग्रहण समय प्रारंभ होगा। मध्यान्ह पश्चात कार्यभार त्यागने/संभलाने पर अगले दिन से कार्यग्रहण समय प्रारंभ होगा।

नियम 6(1) के अनुसार जब पूर्ण कार्यग्रहण समय का लाभ लिए बिना कोई राज्य कर्मचारी पदभार ग्रहण कर लेता है तो अवशेष दिनों के बराबर उपार्जित अवकाश सेवा पुस्तिका में जोड़ दिए जाएंगे।

नियम 6(2) के अनुसार – “कार्यग्रहण समय को आकस्मिक अवकाश को छोड़कर लंबे अवकाश (ग्रीष्मावकाश) या रा.से.नि. 1951 भाग प्रथम के अनुसार देय अन्य किसी भी प्रकार के नियमित अवकाश के साथ निरन्तर लिया जा सकता है।”

योगकाल के साथ अन्य अवकाश का उपभोग करने पर पहले योगकाल अवधि का उपभोग माना जाएगा, बाद में अन्य अवकाश अवधि नियमानुसार समायोजित होगी। योगकाल से अधिक अवधि का कोई भी अवकाश लेने पर योगकाल के एवज में उपार्जित अवकाश (PL) का लाभ देय नहीं होगा।

जितने दिन के अवकाश का उपभोग किया है, उतने ही दिन की PL कम होगी चाहे अवकाश किसी भी प्रकार का लिया हो। जैसे – अगर कोई कार्मिक जिसे 10 दिन का योगकाल देय है वह 15 दिन बाद जॉइन करता है तो 10 दिन योगकाल + 5 दिन का अन्य अवकाश नियमानुसार कटेगा। इस स्थिति में कार्मिक के अवकाश खाते में कोई उपार्जित अवकाश नही जुड़ेगा।

नियम 7 के अनुसार कार्यग्रहण अवधि को कर्तव्य अवधि माना गया है। अतः उक्त अवधि के दौरान कार्मिक को पदभार त्यागने/सौपने से पूर्व आहरित वेतन एवं अन्य भत्तों का भुगतान (वाहन भत्ता/स्थाई यात्रा भत्ता को छोड़कर) अनुज्ञेय होगा।

नियम 8 के अनुसार यदि कोई कार्मिक निर्धारित कार्यग्रहण काल अवधि समाप्ति उपरांत भी कार्यग्रहण नही करता है/नियमानुसार अवकाश आवेदन नही करता हैं, तो उसे उक्त अवधि की समाप्ति पश्चात कोई वेतन अनुज्ञेय नही होगा और कार्यग्रहण अवधि समाप्ति पश्चात जानबूझकर स्वेच्छा से अनुपस्थिति अवधि को सेवा भंग माना जाएगा जो पूर्व सेवा की समाप्ति के रूप में उस समय तक रहेगा जब तक कार्मिक द्वारा संतोषप्रद कारण प्रस्तुत नही कर दिया जाता है या कार्यग्रहण अवधि में वृद्धि नही कर दी जाती है या उक्त अनुपस्थिति अवधि को सक्षम प्राधिकारी द्वारा असाधारण अवकाश में परिवर्तित नही कर दिया जाता है।

श्री यशवन्त कुमार जाँगिड़ , अध्यापक, रा.प्रा.वि. जगदेवपुरा डांडा प.स. – किशनगंज जिला – बाराँ

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